पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने सोमवार को ऑनलाइन कंटेंट का सृजन करने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। याचिकाकर्ता ध्रुव सेठी ने कहा कि यह नियम एकल स्वामित्व वाले कारोबार के लिए कंपनी के रूप में पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है।
ऐसे में कंपनी के रूप में पंजीकरण के बिना ई-कॉमर्स कारोबार नहीं किया जा सकता है। सेठी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर और सम्यक गंगवाल ने अदालत से कहा कि इस नियम की वजह से प्रत्येक ऐसा कारोबार जो कंपनी नहीं है, वह ई-कॉमर्स क्षेत्र से बाहर हो जाएगा। या फिर उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री अमेजन या फ्लिपकार्ट जैसे मंचों के जरिए करनी पड़ेगी।
पीठ ने सुनवाई के दौरान सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता अमेजन पर सूचीबद्ध होकर अपने उत्पादों और सेवाओं की बिक्री कर सकता है। इस पर अधिवक्ताओं ने कहा कि ऐसा करने पर उसे अमेजन को भुगतान करना होगा, जो खुद के जरिए उत्पादों की बिक्री पर नहीं करना होता है।