वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Updated Mon, 19 Oct 2020 06:01 AM IST
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अलकायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी के तालिबान के साथ अब भी करीबी संबंध हैं। जबकि अफगान शांति प्रक्रिया में अमेरिका की यह शर्त थी कि तालिबान का अलकायदा समेत किसी भी आतंकी संगठन से कोई रिश्ता नहीं होगा।
इस्लामिक स्टेट (आईएस), अलकायदा और तालिबान के लिए संयुक्त राष्ट्र की मॉनिटरिंग टीम के कोआर्डिनेटर एडमंड फिटन ब्राउन ने एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा, शांति प्रक्रिया के दौरान तालिबान ने अमेरिका को भरोसा दिलाया था कि वह अलकायदा से अपने संबंधों पूरी तरह खत्म कर लेगा। जबकि अलकायदा के हथियारबंद आतंकी अफगानिस्तान में अब भी सक्रिय हैं।
अमेरिका के साथ अफगान शांति प्रक्रिया के दौरान तालिबान ने अलकायदा के नेताओं के साथ नियमित रूप से सलाह मशविरा किया। तालिबान ने अलकायदा के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को बरकरार रखा है। अल-जवाहिरी के तालिबान के साथ करीबी रिश्ते हैं।
हालांकि, तालिबान ने यूएन अधिकारी के इन दावों को सिरे से खारिज किया है। तालिबान ने कहा, शांति वार्ता के दौरान हमने अलकायदा के साथ कोई परामर्श नहीं किया। कुछ खास खुफिया समूह अफगानिस्तान में शांति को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं।
शांति प्रक्रिया का विरोधी है ईरान: खलीलजाद
इस बीच, अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत जलमय खलीलजाद ने कहा, ईरान अफगान शांति प्रक्रिया के खिलाफ है। ईरान चाहता है कि अमेरिका अफगान युद्ध में लगा रहे और वह शांति प्रक्रिया का समर्थन नहीं कर रहा है। ईरान के दो चेहरे हैं है।
ईरान का विदेश मंत्रालय अफगान शांति प्रक्रिया का समर्थन करता है। वह शांति प्रक्रिया पर सकारात्मक बातें करता है, जबकि एक अन्य ईरान अमेरिका को अफगान युद्ध में उलझाए रखना चाहता है। वह शांति प्रक्रिया का विरोधी है।