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बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान ने सीपीईसी के निवेश की कुल धनराशि का एक हिस्सा कर्ज के रूप में चीन से मांगने की योजना बनाई थी। एशिया टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सीपीईसी के कई प्रोजेक्ट रोकने के चलते पाकिस्तान मुश्किल में है। इनमें वे परियोजनाएं भी शामिल हैं जिन्हें 2018 में इमरान सरकार ने सिर्फ इसलिए रोक दिया था क्योंकि इनमें पिछले सरकार के भ्रष्टाचार का संदेह था।
हालांकि दो साल बाद उन्हीं की कैबिनेट के दो सदस्य बिजली क्षेत्र के भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए थे। रिपोर्ट बताती है कि चीन ऐसी रणनीति भी अपना रहा है जिससे पाकिस्तान ज्यादा ब्याज दर पर कर्ज लेने को मजबूर हो जाए। खबरों के मुताबिक चीन इसलिए भी पाकिस्तान से खफा है क्योंकि इमरान सरकार बड़े बुनियादी ढांचागत कामों में सुस्त पड़ी हुई है।
असीम बाजवा से लगा चीन को झटका
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा जिन्हें सीपीईसी निकाय का चेयरमैन बनाया गया था, उनका नाम भी भ्रष्टाचार में आया है। यह चीन के लिए किसी झटके से कम नहीं है क्योंकि निजी हाथों में काम जाने पर उसे भ्रष्टाचार का डर था इसलिए उसने सेना को साझेदार बनाया, लेकिन वहां भी भ्रष्टाचार के मामले आने लगे।
पाकिस्तानी जुल्मों के खिलाफ पख्तूनों का विरोध प्रदर्शन
पख्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) ने उत्तरी वजीरिस्तान के मीरन शाह में एक सभा को आयोजित कर देश में नागरिकों के लापता होने, उनकी हत्या होने और अपशब्दों के रूप में क्रूरता को खत्म करने का आव्हान किया गया। इस दौरान हजारों पख्तूनों के हाथों में काले झंडे थे और वे पाक में सरकारी एजेंसियों की क्रूरताओं के खिलाफ पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे थे। इस दौरान पाकिस्तान सीनेट के पूर्व सदस्य अफरासीआब खट्टक और मानवाधिकार कार्यकर्ता खोर बीवी ने पाक सेना और आईएसआई पर आरोप लगाए। बता दें कि पाक सेना पर पख्तून क्षेत्र में सरकार पोषित आतंकवाद फैलाने के आरोप हैं।
पाबंदी के बावजूद 22 होगी मेगा रैली
पाकिस्तान में इमरान सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे विपक्षी दलों के गठबंधन ने एलान किया है कि सरकार की पाबंदी के बावजूद उनकी 22 नवंबर को पेशावर में मेगा रैली होगी। पाक में मौजूदा सरकार के खिलाफ 11 विपक्षी दलों ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के नाम से गठबंधन बनाया है। प्रवक्ता अब्दुल जलील जान ने कहा, हमने इमरान सरकार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ी है।