न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Updated Thu, 19 Nov 2020 01:54 PM IST
जीतन राम मांझी (फाइल फोटो)
– फोटो : Social Media
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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी को गुरुवार को बिहार विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाई गई। राज्यपाल फागू चौहान ने राजभवन में मांझी को शपथ दिलाई। राज्यपाल सचिवालय के बयान से यह जानकारी मिली है।
बयान के अनुसार, राज्यपाल फागू चौहान ने इमामगंज से विधायक जीतन राम मांझी को विधानसभा के अध्यक्ष पद के कर्तव्यों के निर्वहन हेतु शपथ दिलाई। राज्यपाल ने भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार विधानसभा के सदस्य जीतन राम मांझी को अध्यक्ष का निर्वाचन होने तक 23 से 24 नवंबर तक के लिए अध्यक्ष पद के कर्तव्यों का पालन करने के लिए नियुक्त किया है।
प्रोटेम स्पीकर के रूप में मांझी नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा में सदन की सदस्यता की शपथ दिलाएंगे। गौरतलब है कि मंगलवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रिमंडल की पहली बैठक में 17वीं विधानसभा का प्रथम सत्र तथा विधान परिषद का 196 वां सत्र 23 से 27 नवंबर से बुलाने का निर्णय किया गया था।
इसी बैठक में 17वें बिहार विधानसभा के प्रथम सत्र और बिहार विधान परिषद के 196वें सत्र के प्रारंभ में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारूप को अनुमोदित करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करने को भी मंजूरी दी गई थी। सोमवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व में 15 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। नीतीश कुमार ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
क्यों होती है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति
बता दें कि विधानसभा में बहुमत परीक्षण के लिए प्रदेश के राज्यपाल को संक्षिप्त सत्र बुलाना होता है। इसके लिए प्रोटेम स्पीकर (सामयिक अध्यक्ष) की नियुक्ति करनी होती है। प्रोटेम स्पीकर पर सदन में बहुमत साबित कराने की प्रक्रिया पूरी कराने और नए विधायकों को शपथ दिलाने की दायित्व होता है। इसके बाद, सत्तारूढ़ दल विधानसभा के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है।
संविधान का अनुच्छेद 180 (1) राज्यपाल को प्रोटेम स्पीकर (सामयिक अध्यक्ष) नियुक्त करने की शक्ति देता है। यह अनुच्छेद कहता है कि यदि अध्यक्ष की कुर्सी खाली हो जाती है और पद भरने के लिए कोई उपसभापति नहीं होता है, तो कार्यालय के कर्तव्यों को ‘विधानसभा के ऐसे सदस्य द्वारा निष्पादित किया जाएगा, जिसे राज्यपाल ने इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किया है।’
क्या होता है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर उन्हें कहा जाता है, जो चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष का चुनाव होने तक संसद या विधानसभा का संचालन करते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो कार्यवाहक और अस्थायी अध्यक्ष ही प्रोटेम स्पीकर होते हैं। लोकसभा अथवा विधानसभाओं में इनका चुनाव बेहद कम समय के लिए होता है।
सामान्यतः सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव के ठीक बाद अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष के चुनाव से पहले अस्थायी तौर पर वे सदन के संचालन से संबंधित दायित्वों का निर्वहन करते हैं। प्रोटेम स्पीकर तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक सदस्य स्थायी अध्यक्ष का चुनाव न कर लें।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी को गुरुवार को बिहार विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाई गई। राज्यपाल फागू चौहान ने राजभवन में मांझी को शपथ दिलाई। राज्यपाल सचिवालय के बयान से यह जानकारी मिली है।
बयान के अनुसार, राज्यपाल फागू चौहान ने इमामगंज से विधायक जीतन राम मांझी को विधानसभा के अध्यक्ष पद के कर्तव्यों के निर्वहन हेतु शपथ दिलाई। राज्यपाल ने भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार विधानसभा के सदस्य जीतन राम मांझी को अध्यक्ष का निर्वाचन होने तक 23 से 24 नवंबर तक के लिए अध्यक्ष पद के कर्तव्यों का पालन करने के लिए नियुक्त किया है।
प्रोटेम स्पीकर के रूप में मांझी नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा में सदन की सदस्यता की शपथ दिलाएंगे। गौरतलब है कि मंगलवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रिमंडल की पहली बैठक में 17वीं विधानसभा का प्रथम सत्र तथा विधान परिषद का 196 वां सत्र 23 से 27 नवंबर से बुलाने का निर्णय किया गया था।
इसी बैठक में 17वें बिहार विधानसभा के प्रथम सत्र और बिहार विधान परिषद के 196वें सत्र के प्रारंभ में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारूप को अनुमोदित करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करने को भी मंजूरी दी गई थी। सोमवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व में 15 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। नीतीश कुमार ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
क्यों होती है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति
बता दें कि विधानसभा में बहुमत परीक्षण के लिए प्रदेश के राज्यपाल को संक्षिप्त सत्र बुलाना होता है। इसके लिए प्रोटेम स्पीकर (सामयिक अध्यक्ष) की नियुक्ति करनी होती है। प्रोटेम स्पीकर पर सदन में बहुमत साबित कराने की प्रक्रिया पूरी कराने और नए विधायकों को शपथ दिलाने की दायित्व होता है। इसके बाद, सत्तारूढ़ दल विधानसभा के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है।
संविधान के इस अनुच्छेद में है उल्लेख
संविधान का अनुच्छेद 180 (1) राज्यपाल को प्रोटेम स्पीकर (सामयिक अध्यक्ष) नियुक्त करने की शक्ति देता है। यह अनुच्छेद कहता है कि यदि अध्यक्ष की कुर्सी खाली हो जाती है और पद भरने के लिए कोई उपसभापति नहीं होता है, तो कार्यालय के कर्तव्यों को ‘विधानसभा के ऐसे सदस्य द्वारा निष्पादित किया जाएगा, जिसे राज्यपाल ने इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किया है।’
क्या होता है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर उन्हें कहा जाता है, जो चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष का चुनाव होने तक संसद या विधानसभा का संचालन करते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो कार्यवाहक और अस्थायी अध्यक्ष ही प्रोटेम स्पीकर होते हैं। लोकसभा अथवा विधानसभाओं में इनका चुनाव बेहद कम समय के लिए होता है।
सामान्यतः सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव के ठीक बाद अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष के चुनाव से पहले अस्थायी तौर पर वे सदन के संचालन से संबंधित दायित्वों का निर्वहन करते हैं। प्रोटेम स्पीकर तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक सदस्य स्थायी अध्यक्ष का चुनाव न कर लें।
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