न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 23 Nov 2020 03:30 AM IST
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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आईएमए ने केंद्र सरकार की निंदा करते हुए इसे सिस्टम का घालमेल करने वाला प्रतिकूल कदम करार दिया है। साथ ही कहा है कि इससे नीट जैसी परीक्षाओं की अहमियत खत्म हो जाएगी और मेडिकल संस्थानों में प्रवेश का चोर दरवाजा खुल जाएगा।
आयुष मंत्रालय की स्वायत्त संस्था सीसीआईएम ने भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (परास्नातक आयुर्वेद शिक्षा) नियमावली, 2016 में संशोधन के जरिये 58 तरह की सर्जरी के लिए परास्नातक आयुर्वेद डॉक्टरों को प्रशिक्षित किए जाने की अधिसूचना 20 नवंबर को जारी की है। आईएमए ने इस पर आपत्ति जताते हुए आदेश को वापस लेने की मांग की है।
साथ ही सीसीआईएम से कहा कि उसे आधुनिक चिकित्सा के सर्जिकल विषय पर खुद का दावा ठोकने के बजाय प्राचीन ग्रंथों से अपने खुद के सर्जिकल विषय विकसित करने चाहिए। आईएमए ने सरकार से भी आयुर्वेदिक चिकित्सा कॉलेजों में आधुनिक चिकित्सा के किसी डॉक्टर को तैनात करने से बचने की मांग की।
आईएमए ने कहा, एसोसिएशन इसे प्रणालियों के मिश्रण के प्रतिकूल कदम के रूप में देखता है, जिसका हर कीमत पर विरोध किया जाएगा।
आयुष मंत्रालय ने कहा, सही है अनुमति
हालांकि आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, सीसीआईएम की अधिसूचना से कोई नीतिगत बदलाव या नया निर्णय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, यह अधिसूचना दरअसल महज एक स्पष्टीकरण है। इसमें आयुर्वेद में परास्नातक शिक्षा से जुड़ी खास प्रक्रियाओं के लिए पहले से मौजूद नियमन को व्यवस्थित किया गया है।
उन्होंने कहा, इस अधिसूचना से सभी आयुर्वेद डॉक्टरों के लिए सर्जरी का क्षेत्र नहीं खुलेगा बल्कि केवल शल्य व शालाक्य में विशेषज्ञ आयुर्वेदिक परास्नातकों को ही सर्जरी करने की इजाजत दी जाएगी। सीसीआईएम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन वैद्य जयंत देवपुजारी ने भी स्पष्ट किया किया कि आयुर्वेद में ये सर्जरी 20 साल से भी ज्यादा से की जा रही हैं और यह अधिसूचना इन्हें वैध करने के लिए लाया गया है।