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उन्होंने कहा कि एजेंसी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कुछ पदाधिकारियों और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के बीच हुए संवाद को उजागर किया और वह इस बारे में उनसे स्पष्टीकरण मांगेगी। एजेंसी ने ट्वीट किया, ‘ईडी पीएफआई के पदाधिकारियों के पास से बरामद कुछ ठोस साक्ष्य के आधार पर पीएफआई और भीम आर्मी के बीच वित्तीय जुड़ाव की जांच कर रहा है।’
एक खबर के जवाब में यह ट्वीट किया गया, जिसमें कहा गया था कि ईडी को भीम आर्मी और पीएफआई के बीच कोई ‘जुड़ाव नहीं’ मिला है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दो समूहों के लोगों के बीच हुए संवाद से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शनों के दौरान जामा मस्जिद इलाके में कुछ गतिविधियों का संकेत मिला है।
केंद्रीय जांच एजेंसी के इस मामले में जुड़ाव रखने वाले कुछ अन्य लोगों से भी पूछताछ किए जाने की संभावना है। एजेंसी धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत मामले की जांच कर रही है। ईडी ने अगस्त में आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन को इस मामले में गिरफ्तार किया था और आरोप लगाया था कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों को भड़काने और फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों के लिए उन्हें धन मिला था।
पीएमएलए के तहत 2018 से ही पीएफआई की जांच कर रही एजेंसी ने आरोप लगाया है कि इन प्रदर्शनों और केरल स्थित संगठन के बीच ‘वित्तीय जुड़ाव’ है। एजेंसी पूर्व में पीएफआई के कई पदाधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है।
ईडी ने कहा कि पिछले साल चार दिसंबर से इस साल छह जनवरी के बीच संगठन से जुड़े कई बैंक खातों में कम से कम 1.04 करोड़ रुपये जमा किए गए। सूत्रों ने कहा कि पीएफआई के बैंक खाते में जमा की गयी 120 रुपये की रकम ईडी की जांच के घेरे में है। पीएफआई ने लगातार इन आरोपों से इनकार किया है।